विविध >> स्वराज पार्टी स्वराज पार्टीसलिल मिश्रा
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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ एक लंबा संघर्ष था। आजादी की यह लड़ाई अलग-अलग समय में अपने ढंग से लड़ी गई थी। इस लंबी लड़ाई में ‘स्वराजवाद’ का उदय राजनीतिक परीक्षण के तौर पर हुआ था। ‘स्वराजवाद’ से मतलब राष्ट्रीय आंदोलन के अंदर ऐसे रूझान से है जिसे कौंसिल प्रवेश की, राष्ट्रीय आन्दोलन के एक हिस्से के रूप में, वकालत की। 1923 में स्वराज पार्टी के गठन से इस रूझान को संगठनात्मक रूप मिला। इस पार्टी के मुख्य नेता मोतीलाल नेहरू और चिरंजन दास थे।
यूं तो जब से अंग्रेजों ने भारत में पाँव जमाने शुरु किए, उनके खिलाफ किसानों और जनजातियों के छुटपुट स्थानीय संघर्ष होते रहे। फिर 1857 का विद्रोह अंग्रेजी प्रभुता के खिलाफ पहला संगठित प्रयास था जिसने भारत में अंग्रेजी शासन की जड़े हिला दीं। अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय आंदोलन की नींव 1885 में पड़ी , जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। 1885 का वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत का वर्ष था। इस वर्ष से शुरु हुई अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ एक लंबे अहिंसात्मक, संगठित संघर्ष की प्रक्रिया, जिसकी परिणति 1947 में देश की आजादी के साथ हुई। इस राष्ट्रीय आंदोलन की कोख से जन्म हुआ था स्वराज पार्टी का।
यूं तो जब से अंग्रेजों ने भारत में पाँव जमाने शुरु किए, उनके खिलाफ किसानों और जनजातियों के छुटपुट स्थानीय संघर्ष होते रहे। फिर 1857 का विद्रोह अंग्रेजी प्रभुता के खिलाफ पहला संगठित प्रयास था जिसने भारत में अंग्रेजी शासन की जड़े हिला दीं। अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय आंदोलन की नींव 1885 में पड़ी , जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। 1885 का वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत का वर्ष था। इस वर्ष से शुरु हुई अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ एक लंबे अहिंसात्मक, संगठित संघर्ष की प्रक्रिया, जिसकी परिणति 1947 में देश की आजादी के साथ हुई। इस राष्ट्रीय आंदोलन की कोख से जन्म हुआ था स्वराज पार्टी का।
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